(Originally on May 1st, 2014)
One of the partners said
चांद को क्या मालूम देखता है उसे कोई चकोर।
And the other one is thinking
चकोर अपनी जुबान खोले तो सही
अपने मुंह से कुछ बोले तो सही
चांद साला आसमां को छोड के आएगा
जमाने के सारे बंधन तोड के आएगा
पर चकोर अपनी चुप्पी लगाए बैठा है
इंतजार मे आंखे बिछाए बैठा है
"कहें ना कहें" उलझा है खुदही
चांद की आस लगाए बैठा है
चांद भी जले है तनहा अकेला
महसूस करे चांदनी को वह चारों ओर
पर चांद को है मालूम
देखता है उसे कोई चकोर ....
देखता है उसे कोई चकोर ....
- कोण!
One of the partners said
चांद को क्या मालूम देखता है उसे कोई चकोर।
And the other one is thinking
चकोर अपनी जुबान खोले तो सही
अपने मुंह से कुछ बोले तो सही
चांद साला आसमां को छोड के आएगा
जमाने के सारे बंधन तोड के आएगा
पर चकोर अपनी चुप्पी लगाए बैठा है
इंतजार मे आंखे बिछाए बैठा है
"कहें ना कहें" उलझा है खुदही
चांद की आस लगाए बैठा है
चांद भी जले है तनहा अकेला
महसूस करे चांदनी को वह चारों ओर
पर चांद को है मालूम
देखता है उसे कोई चकोर ....
देखता है उसे कोई चकोर ....
- कोण!
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